
गांवों में कोई भी कार्य सामूहिक सहमति से ही आगे बढ़ाया जाता है — चाहे वह निर्णय सही हो या गलत। लेकिन अक्सर ऐसी सामूहिक सहमति बन नहीं पाती, क्योंकि ग्रामीण समाज किसी एक व्यक्ति के नेतृत्व को सर्वमान्य रूप से स्वीकार नहीं करता।
इसके पीछे एक बड़ा कारण है — विचारधाराओं और राजनीतिक झुकावों की, गाँव में लोग अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक गुटों से जुड़े होते हैं। जब कोई कार्य होता है, तो उसका श्रेय (क्रेडिट) लेने की होड़ लग जाती है। एक पार्टी से जुड़ा व्यक्ति किसी दूसरी पार्टी के प्रतिनिधि को श्रेय देने से परहेज करता है। यही कारण है कि अच्छे काम भी कई बार केवल आपसी प्रतिस्पर्धा, अहंकार या राजनीतिक असहमति की भेंट चढ़ जाते हैं।
इस परिस्थिति में नेतृत्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह व्यक्तिगत पहचान से ऊपर उठकर, सभी विचारधाराओं को साथ लेकर चले — तभी कोई सामूहिक और सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
रामदीरी पुस्तक प्रकाशित करने का उद्देश्य
रामदीरी पुस्तक को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्राम के हर सदस्य को समाज में बराबरी का हक और सम्मान मिले। यह पुस्तक न केवल ग्राम के ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं को दस्तावेज़ रूप में प्रस्तुत करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि किस तरह ग्राम के हर वर्ग — चाहे वह किसी भी जाति, समुदाय, आर्थिक स्थिति या राजनीतिक विचारधारा से जुड़ा हो — ग्राम निर्माण में अपनी भूमिका निभाता है।
इस पुस्तक के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि ग्राम के हर सदस्य को बराबरी का हक मिले। यही सोच रामदीरी को एक जागरूक और न्यायपूर्ण समाज की ओर ले जाएगी।
“हमारा गाँव, हमारी ज़िम्मेदारी”
हमारे गाँव को कोई बाहरी व्यक्ति नहीं संवार सकता। इसकी असली ताक़त हम ग्रामीणों में ही है। जो अपने गाँव की ज़रूरतें जानते हैं,
आज ज़रूरत है कि हम एकजुट होकर, आपसी भेदभाव और राजनीति से ऊपर उठकर, गाँव के विकास के लिए मिलकर कदम बढ़ाएँ। जब हम स्वयं आगे आएँगे, तब ही हमारा गाँव आत्मनिर्भर, आदर्श बन सकेगा।
रामदीरी दर्शन परिवार