"बस्तर" विकास यात्राछत्तीसगढ़

माड़पाल ग्रामवासी पहुंचे बस्तर राजमहल – जताया सम्मान और साझा की पीड़ा

महादेव बाकड़े – ग्राम पंचायत माड़पाल के नवचयनित सरपंच के विचार

यह लेख एक प्रारंभिक प्रस्तुति है, जिसमें क्रमशः गाँव की संरचना, सामाजिक जीवन, सांस्कृतिक विरासत और विकास की दिशा में उठाए गए कदमों की विस्तृत रूपरेखा शामिल की जाएगी। ‘गाँव से विकास तक’ की यह यात्रा केवल शब्दों की कहानी नहीं, बल्कि एक पूरे समुदाय की स्मृतियों, संघर्षों और सपनों का दस्तावेज़ होगी। जब यह रचना पूर्णता को प्राप्त करेगी, तब इसे एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और ग्रामीण बदलाव की जीवंत मिसाल बनेगी।”

1.सबसे पहले बधाई! सरपंच बनने के बाद पहला अनुभव कैसा रहा?

धन्यवाद, गांव की उम्मीदों का अपने कंधे पर महसूस कर रहा हूँ। लोगों का विश्वास ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है।

2. चुनाव लड़ने का निर्णय आपने क्यों लिया? क्या कोई खास प्रेरणा थी?
गांव की समस्याएं वर्षों से बनी हुई थीं। उन्हें दूर करने की प्रेरणा मुझे अपने परिवार, शिक्षकों और ग्रामीणों से मिली।

3. चुनाव प्रचार के दौरान गांव की सबसे बड़ी समस्या क्या महसूस हुई?
मुख्य समस्या साफ पानी, सड़क (हालात बेहद खराब), और बेरोजगारी है। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुविधा की कमी है।

4. आपने अपने घोषणापत्र में कौन-कौन से प्रमुख वादे किए थे?

जल संकट समाधान

सड़क निर्माण

स्कूल की व्यवस्था

महिला और युवा सशक्तिकरण हेतु सहयोग समूह का गठन

5. अब जब आप सरपंच बन चुके हैं, तो आपकी पहली प्राथमिकता क्या होगी?
सड़क निर्माण, लाइट, तालाब की साफ-सफाई

6. गांव के युवाओं और महिलाओं के लिए आप क्या योजना लेकर आएंगे?
स्वरोजगार, प्रशिक्षण एवं महिला सशक्तिकरण योजनाएं

7. आप पिछले सरपंच के कार्यकाल को कैसे देखते हैं? कोई सीख या अंतर?
हर कार्यकाल से कुछ न कुछ सीख मिलती है। पिछली पंचायतों की योजनाओं का निरंतर मूल्यांकन ज़रूरी है ताकि जो कार्य अधूरे हैं, उन्हें आगे बढ़ाया जा सके।

8. निजी जीवन से थोड़ा हटकर – आपका शौक क्या है? और आपको सबसे ज़्यादा खुशी किस बात में मिलती है?
गांव का किसान प्रधान बनाना। किसी जरूरतमंद की मदद कर पाना मुझे सबसे ज्यादा खुशी देता है।

 बस्तर के दिल से निकली एक कहानी”

बस्तर की हरी-भरी वादियों के बीच बसा है माड़पाल, एक शांत, परंपराओं से भरपूर और संघर्षशील गांव। यह वही धरती है जहाँ लोकगीतों की गूंज आज भी जंगलों से टकरा कर लौटती है।

माड़पाल ग्रामवासी पहुचे  राजा के दरबार,वृद्धों ने उन्हें पुराने दिनों की बातें बताईं, युवाओं ने रोजगार और शिक्षा की समस्याएं सुनाईं, और महिलाओं ने जंगल के अधिकार और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में बताया

 

 

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