“ट्रंप का तगड़ा झटका: भारत पर रूसी तेल को लेकर ‘जुर्माना’ लगाने की धमकी”

जब तकलीफ़ की उम्मीद नहीं थी, तब ट्रंप का यह बयान भारत के लिए जैसे बिजली गिरने जैसा रहा। भारत, जो बीते तीन सालों से रूस से सस्ते तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है, अब अमेरिकी प्रतिबंधों के निशाने पर है।
यूक्रेन युद्ध के बाद जब पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया, भारत ने इसे एक मौक़ा समझा और अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए रूस की ओर रुख़ किया। भारत को भरोसा था कि ट्रंप, जो हमेशा प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ करते रहे हैं, भारत के ऊर्जा फैसलों को समझेंगे।
लेकिन ट्रंप ने न सिर्फ़ भारत पर 25% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी, बल्कि अतिरिक्त “जुर्माना शुल्क” की बात कहकर यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह भारत की रूस नीति से खुश नहीं हैं।
यह उस भारत के लिए झटका है जिसने ट्रंप को दोस्त माना, और उम्मीद की थी कि उनका सत्ता में लौटना भारत-रूस समीकरण को लेकर अमेरिका के दबाव को कम करेगा। अब यह मामला न केवल कूटनीतिक चुनौती है, बल्कि भारत की ऊर्जा नीति और आर्थिक संतुलन पर भी असर डाल सकता है।