
आस्था वेलफेयर सोसाइटी के संस्थापक पंकज जी वह नाम हैं, जिनकी सोच और कार्य ने समाज में संस्कृति के प्रति एक नई चेतना जगाई है। उन्होंने यह ठान लिया है कि संस्कृति क्षेत्र की हर छोटी-बड़ी जानकारी, उसकी अनूठी परंपराएं, और गौरवशाली इतिहास आम जन तक पहुंचे, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां अपनी पहचान और जड़ों से जुड़ी रहें।
पंकज जी का मानना है कि “कोई भी समाज अपनी संस्कृति और परंपराओं के बिना अधूरा है।” यही कारण है कि वे सम्पूर्ण संस्कृति क्षेत्र का भ्रमण कर वहां के प्राचीन मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों, लोककथाओं, लोकनृत्यों, त्यौहारों और रीति-रिवाजों का गहन अध्ययन कर रहे हैं। वे सिर्फ सूचनाएं इकट्ठी नहीं करते, बल्कि उनमें छिपी कहानियों, संघर्षों और लोकजीवन की महक को भी जीवंत शब्दों में पिरोते हैं।
उनके प्रयासों में यह विशेषता है कि वे लुप्त होती परंपराओं और अनसुनी कहानियों को संजोकर उन्हें आधुनिक पीढ़ी के सामने नए अंदाज में प्रस्तुत करते हैं, ताकि युवा वर्ग भी अपनी जड़ों से गर्व के साथ जुड़ सके।
पंकज जी न केवल संस्कृति के दस्तावेज़ तैयार कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय कलाकारों, बुजुर्गों और विद्वानों के अनुभवों को भी एक मंच पर लाकर साझा कर रहे हैं। यह काम सिर्फ जानकारी देने का नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का है, जिसमें वे सेतु का कार्य कर रहे हैं—अतीत और वर्तमान के बीच।
उनकी यह मुहिम आने वाले समय में संस्कृति क्षेत्र की पहचान, गौरव और धरोहर को संपूर्ण देश-विदेश में पहुंचाने का माध्यम बनेगी। निस्संदेह, यह प्रयास केवल आज के लिए नहीं, बल्कि पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर सिद्ध होगा।



