
आपने कभी सोचा है कि एक ईंट की कीमत कितनी होती है? बाज़ार में 8 से 12 रुपये के बीच। लेकिन ज़रा सोचिए अगर वही ईंट सरकारी कागज़ों में 50 रुपये की बताई जाए, तो? जी हाँ, ऐसा ही हुआ है मध्य प्रदेश के एक ज़िले में, जहाँ आंगनवाड़ी भवन की बाउंड्री वॉल बनाने का बिल देखकर सबके होश उड़ गए।
2500 ईंटें = 1 लाख 25 हज़ार!
बिल के मुताबिक दीवार में कुल 2500 ईंटें लगीं, और उनका खर्च दिखाया गया… पूरे ₹1,25,000! यानी एक ईंट = 50 रुपये। अब आप ही बताइए, क्या ये ईंटें सोने से मढ़ी हुई थीं?
इतना ही नहीं, बिल में सीमेंट, रेत और बाकी सामानों की कीमत भी ऐसे बताई गई मानो इन्हें किसी और दुनिया से आयात किया गया हो।
मुद्दा सिर्फ ईंटों का नहीं…
यह मामला महज़ कुछ ईंटों या सीमेंट का नहीं है, बल्कि उस सोच का आईना है जिसमें जनता के टैक्स के पैसों को डकारने का सिलसिला चलता रहता है। और यह सब उस आंगनवाड़ी भवन के नाम पर, जहाँ गाँव के नन्हें बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सेवाएँ दी जानी हैं।
अब जाँच के घेरे में
फिलहाल इस बिल के भुगतान पर रोक लगा दी गई है और मामले की जाँच शुरू हो गई है। लेकिन इतना तो तय है कि इस एक बिल ने सरकारी कामों में होने वाले गोलमाल की पूरी कहानी खोलकर रख दी है।