"बस्तर" विकास यात्राछत्तीसगढ़

“गांव की सेवा अब मेरा धर्म है” – सरपंच श्रीमती रुकमणि बघेल, कलचा

1. सरपंच बनने का पहला अनुभव?
जब नाम सामने आया, तो आंखों में आंसू थे—गर्व के। गांव की बहनों, भाईयों और बुजुर्गों ने जो भरोसा जताया है, वो मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। ये कोई पद नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है। पहला अनुभव यही रहा कि अब मेरा हर दिन गांव के नाम है।

2. चुनाव लड़ने का निर्णय क्यों लिया?
बहुत बार सोचा कि क्या मैं तैयार हूं? लेकिन जब गांव की बहनों ने हाथ पकड़कर कहा – “तुम्हें ही आगे आना होगा” प्रेरणा कोई एक नहीं, बल्कि पूरा गांव था।

3. प्रचार के दौरान सबसे बड़ी समस्या क्या महसूस हुई?
पानी की कमी, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सुविधा का अभाव—ये तीन ऐसी बातें थीं जो हर दरवाज़े पर सुनने को मिलीं। कुछ परिवार ऐसे भी थे जिन्हें अपने हक की जानकारी तक नहीं थी। बस, वहीं से मेरे सोच की दिशा तय हो गई।

4. आपने अपने घोषणापत्र में क्या वादे किए?
वादे नहीं, संकल्प कहूँगी—

हर घर में पीने का साफ पानी

युवाओं के लिए कौशल केंद्र

महिला स्व-सहायता समूहों को नए संसाधन

पारदर्शी पंचायत और योजनाओं की जानकारी हर किसी तक पहुँचे

5. पहली प्राथमिकता क्या होगी?
सबसे पहले जनसुनवाई शुरू करूंगी। मैं चाहती हूं कि हर ग्रामवासी को लगे कि वो सीधे सरपंच से बात कर सकता है। उसके बाद साफ-सफाई और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दिशा में तेज़ी से कदम उठाए जाएंगे।

6. युवाओं और महिलाओं के लिए आपकी योजना?
महिलाएं केवल रसोई तक सीमित नहीं हैं—उन्हें स्वावलंबी बनाना होगा। महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूहों का विस्तार, और युवाओं के लिए खेती से जुड़ी आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग और स्वरोजगार की दिशा में योजनाएं लाई जाएंगी।

7. पिछले सरपंच के कार्यकाल के बारे में आपकी राय?
हर कार्यकाल की अपनी परिस्थितियां होती हैं। जो अच्छा हुआ, उससे सीखूंगी। जहां कमियाँ रहीं, वहां सुधार लाने की कोशिश करूंगी। बदलाव कोई युद्ध नहीं होता, वो एक प्रक्रिया है—सबको साथ लेकर चलने की।

“मेरे लिए सरपंच बनना नहीं, गांव को जागरूक और आत्मनिर्भर बनाना असली लक्ष्य है। मेरी जिम्मेदारी हर बच्चे की मुस्कान और हर बुजुर्ग की दुआ से जुड़ी है।”

— श्रीमती रुकमणि बघेल
सरपंच, ग्राम पंचायत कलचा

 

 

समाज सेवक जगे बघेल – खेलों से गाँव को जोड़ने की पहल

ग्राम कलचा के निवासी श्री जगे बघेल एक समर्पित समाज सेवक के रूप में अपनी विशेष पहचान बना चुके हैं। वे न केवल सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं, बल्कि खेलों के माध्यम से युवाओं और बच्चों को एक सकारात्मक दिशा देने का कार्य भी निरंतर कर रहे हैं। जगे बघेल स्वयं एक क्रिकेट प्रेमी हैं और खेल के महत्व को भली-भांति समझते हैं। उनका मानना है कि खेल न केवल शारीरिक विकास का माध्यम हैं, बल्कि यह युवाओं को अनुशासन, सहयोग और नेतृत्व जैसे गुण भी सिखाते हैं।

खेल को बढ़ावा देने की उनकी पहल:

श्री बघेल ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों की महत्ता को देखते हुए गाँव के बच्चों और युवाओं को लगातार प्रोत्साहित करते हैं कि वे मोबाइल और नशे जैसी बुराइयों से दूर रहकर मैदान की ओर लौटें। वे खुद क्रिकेट और वॉलीबॉल जैसे खेलों में भाग लेते हैं, और समय-समय पर स्थानीय खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन भी करवाते हैं।

उन्होंने अपने प्रयासों से गांव में एक ऐसा वातावरण तैयार किया है, जहां युवा सुबह-शाम खेल मैदान में सक्रिय रहते हैं। इससे गाँव में स्वास्थ्य, भाईचारे और अनुशासन की भावना भी मजबूत हो रही है।

प्रेरणास्रोत बनते जा रहे हैं:

आज जगे बघेल सिर्फ एक समाज सेवक नहीं, बल्कि गाँव के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं। उनकी कोशिशों से न केवल खेल संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि कई युवा अब जिला और ब्लॉक स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेने लगे हैं।

उनका यह मानना है कि —
“यदि बच्चों को खेलने का अवसर और मार्गदर्शन मिले, तो वे गांव और समाज का नाम रोशन कर सकते हैं।”

ग्राम कलचा में समाज सेवा और खेलों के क्षेत्र में जगे बघेल का यह योगदान सराहनीय और अनुकरणीय है।

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