"बस्तर" विकास यात्राछत्तीसगढ़पुस्तक

बस्तर बिकास यात्रा

मोर माटी सरपंचनामा

 

बस्तर — यह केवल एक ज़िले या अंचल का नाम नहीं है, यह एक संवेदना है, एक संघर्ष है, और एक संभावना है। यह वह धरती है जहाँ प्रकृति की गोद में पलते हुए गाँव, पर्व, परंपरा, आत्मीयता और आत्मनिर्भरता की मिसालें देते हैं। यह वही बस्तर है जहाँ जंगल केवल लकड़ी के नहीं, जीवन के स्रोत हैं; जहाँ हर पेड़, पहाड़ और नदी में संस्कृति की सांसें बसी हैं।

 

यह पुस्तक “बस्तर ग्रामीण विकास यात्रा” इसी यथार्थ की खोज है।

मूल उद्देश्य

यह पुस्तक केवल एक रिपोर्ट नहीं, बल्कि एक जन संवाद है। लेखक ने वर्षों तक बस्तर के सुदूर गांवों में जाकर, ग्रामीणों के साथ बैठकर, उनके अनुभव सुने। स्कूल के बच्चों से लेकर गाँव के बुज़ुर्ग तक, पंचायत सचिव से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तक — सबकी आवाज़ को इस पुस्तक में स्थान मिला है।

कहीं पुल बना तो बच्चों ने स्कूल जाना शुरू किया।
कहीं सड़क आई तो गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल पहुँचना संभव हुआ।
कहीं महिला समूहों ने आजीविका के साधन विकसित किए और आत्मनिर्भरता की राह पकड़ी।
कहीं गाँव में बिजली आई तो किसान की रातें बदल गईं।

स्थानीय अनुभवों की झलक

सांस्कृतिक विकास और जागरूकता

बस्तर का विकास केवल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, यह संवेदनशीलता और स्वाभिमान का विकास भी है। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि कैसे ग्रामीण अब जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछने लगे हैं, ग्राम सभा में निर्णय लेने लगे हैं, और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रहे हैं।

भविष्य की ओर दृष्टि

डिजिटल गाँवों की अवधारणा

पर्यावरणीय संतुलन बनाते हुए विकास

स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर आधारित योजनाएं

युवा नेतृत्व और ग्राम स्तरीय नवाचर

 

लेखक की ओर से
“यह पुस्तक एक दस्तावेज़ है – उम्मीदों का, संघर्षों का, और उस आत्मा का जो हर बस्तरवासी के भीतर बसती है।”

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!